जीवन
नयन, मन तार
बज उठा सितार
लीन हुई मैं
तुम में।
अंग सिहरन
रहस्मय गति
तुम सत्य ज्ञान
मैं जड़ सी पड़ी।
सात लोक
सात स्वर
सप्तसदी
बिन तुम्हारे
मैं शून्य हो खडी।
अभिमान, स्वाभिमान हुए आलिंगित तब सभ्यता हुई नूतन
किरण कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा न होकर उन तमाम व्यक्तियों के रोजमर्रा की जद्दोजहद का एक समुच्चय है जिनमे हर समय जीवन सरिता अपनी पूरी ताकत के साथ बहती है। किरण की दुनिया में उन सभी पहलुओं को समेट कर पाठको के समक्ष रखने का प्रयास किया गया है जिससे उनका रोज का सरोकार है। क्योंकि 'किरण' भी उनमे से एक है।
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