Wednesday, September 14, 2016

यात्रा

सुदूर अतीत के
मुर्दे टीले में बने
तालाब की आखरी सीड़ी पर
पड़ी हुई जली लाश
असल में फिनिक्स पक्षी है
जो अपनी ही राख से
पुन: जीवित
स्त्री बन
सभ्यताओं के आंसू से
लिख रही है विशिष्टता की दास्तां
सभाल रही है
विशिष्ट व्यवस्थाओं के दस्तावेज
जिसमे है रूमानियत की लाश
ज़ज्वातो की डिबिया
गीतों के मिसरें
कैदी मुस्कान
नफरतो के साय
धोखे की कहानी
बेपनाह दर्द
इलज़ाम का सन्दूक
आंसुओं से लिखा प्रेम पत्र
जिसमे लिखा है
पुरुष स्त्री के सम्मिलन की कहानी
और त्रिपथगा की यात्रा का मन्त्र
जिसे अपनी आत्मा के सुरों में डाल
पहुँचा रही है हर सभ्यता में।

No comments:

Post a Comment